अजमाइहैं सब आपन आपन हथकण्डा ,अबकी चुनाव मे
चली फिरसे लाठी और डंडा , अबकी चुनाव मे
केहू खरिदी वोट तो केहू देखाई धौस ,
जाने केतना पुजैहैं पंडित और पंडा,अबकी चुनाव मे
जेव रही खाली लेकिन लडैक है चुनाव,
लुटिहैं फिरसे नाम लैकै चन्दा, अबकी चुनाव मे
केहू लगवैहैं नाच तो केहू अर्केस्ट्रा ,
करिहैं कुछ भी गडै खतिर झन्डा, अबकी चुनाव मे
केहू कहिँ बनवाईब कुला केहू नहर ,
चुनाव कै बाद सब परिजैहैं सब ठण्डा , अबकी चुनाव मे
-अजय पान्डेय