उठ प्यारे चल जाग उठ क्यों बिचारण में है तू अमुख जिसको तु समझें है सुख वो तो है केवल मीठा दुःख बन मधुमख्खी सा कर्म प्रमुख क्यों स्वप्न में सदैब खोया रहेता जीवनके मीठे झूठको सहेता बन शून्य क्यों तु शून्य में डूबा भिक्छुक तु ही तो है जो चीरे भूख बन...
उठ प्यारे चल जाग उठ क्यों बिचारण में है तू अमुख जिसको तु समझें है सुख वो तो है केवल मीठा दुःख बन मधुमख्खी सा कर्म प्रमुख क्यों स्वप्न में सदैब खोया रहेता जीवनके मीठे झूठको सहेता बन शून्य क्यों तु शून्य में डूबा भिक्छुक तु ही तो है जो चीरे भूख बन...