बर्धान कय नाधिकय लावाजाय । खेत जोतिकय बनावाजाय । हेङ्ग वहिपा चालवाजाय । बिया फिर गिरावाजाय । चलो बैठौनी कारवाजाय । खाद खेतेमे गिरावाजाय । लेवा फिर कहरावाजाय । बियाकय उखाराजाय । बोझा वोका बनावाजाय । धईकय मुडीपे पहुचावाजाय । सबजनी मिलिकय बैठावाजाय ।...
उठ प्यारे चल जाग उठ क्यों बिचारण में है तू अमुख जिसको तु समझें है सुख वो तो है केवल मीठा दुःख बन मधुमख्खी सा कर्म प्रमुख क्यों स्वप्न में सदैब खोया रहेता जीवनके मीठे झूठको सहेता बन शून्य क्यों तु शून्य में डूबा भिक्छुक तु ही तो है जो चीरे भूख बन...
सबकेहू लक्ष्मी माई कै अगुवानी मे लगा है | हर गवाँ चौराहा पे माई कै मुर्ति खुब सजा है | होइ सबकुछ मंगल अव सुख कय होइंहै बौछार सब कै हृदय मे इहय अभिलास आव विश्वास भरा है । हमरी कुरियामा कै ज्योति चलगई उंची महलनमा कैसै कहीं हम्मै तो खेते कै चिन्ता...