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uth pyare chal jaag uth- ajay pandey

उठ प्यारे चल जाग उठ

उठ प्यारे चल जाग उठ क्यों बिचारण में है तू अमुख जिसको तु समझें है सुख वो तो है केवल मीठा दुःख बन मधुमख्खी सा कर्म प्रमुख क्यों स्वप्न में सदैब खोया रहेता जीवनके मीठे झूठको सहेता बन शून्य क्यों तु शून्य में डूबा भिक्छुक तु ही तो है जो चीरे भूख बन...

मेरा चाँद

कल सबको चाँद नज़र आएगा। मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा । न देखा कभी उसको हकीकत में बस सपनोँ में कई है गुफ्तगू । कब आके घूंघट उठाएगा । मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा । मोतियों की चाहत नहीँ जो उसकी मुस्कुराहटों से गिरती...

Ajay Pandey