कल सबको चाँद नज़र आएगा।
मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा ।
न देखा कभी उसको हकीकत में
बस सपनोँ में कई है गुफ्तगू ।
कब आके घूंघट उठाएगा ।
मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा ।
मोतियों की चाहत नहीँ
जो उसकी मुस्कुराहटों से गिरती हैं।
बस आरजू है कि मेरे तरफ देख के वो एकबार मुस्कुराएगा।
मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा ।
समझ में अब आया
कि प्यार का रंग लाल क्यों है।
उसकी गालों की लाली मुझको पूरा लाल कर जाएगा ।
मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा ।
दिन में वो नहीँ आता मुझको मालूम है ये ।
उसकी पलकों के उठते ही दिन में भी अंधेरा होजाएगा।
मैं भी हुँ इंतजार में कब मेरा चाँद बाहर आएगा ।